देश विदेशमंथन (विचार)

कान्हा

कान्हा मेरी लाज अनमोल है,
तेरे सिवा कौन इसे रखेगा श्याम,
तुझे तो पता ही होगा इसका क्या मोल है,
कान्हा मेरी लाज अनमोल है,

लाज गई तो कुछ भी न रह जाएगा,
ये दुख्यारा जीते जी मर जाएगा,
कान्हा अन्धकार घनघोर है,
तेरे सिवा कौन इसे रखेगा श्याम,
तुझे तो पता ही होगा इसका क्या मोल है,
कान्हा मेरी लाज अनमोल है,

इक सहारा सब को मिल ही जाता है,
पर मुझको तो वो भी नजर नहीं आता है,
कान्हा मेरे हाथ कमजोर है,
तेरे सिवा कौन इसे रखेगा श्याम,
तुझे तो पता ही होगा इसका क्या मोल है,
कान्हा मेरी लाज अनमोल है,

इस का जोहरी और कही न पाया हो,
वनवारी मैं पास तुम्हारे लाया हु,
कान्हा तू बता क्या मोल है
तेरे सिवा कौन इसे रखेगा श्याम,
तुझे तो पता ही होगा इसका क्या मोल है,
कान्हा मेरी लाज अनमोल है,

 

 

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